महाश्रमण ने कहा

1. तुम कार्यकर्ता बनना चाहते हो यह अच्छी बात हो सकती है पर तुम यह सोचो तुम्हारा अपने काम, क्रोध व भय पर नियंत्रण है या नहीं | - आचार्य श्री महाश्रमण 2. यदि यह आस्था हो जाए कि मूर्तिपूजा करना, द्रव्यपूजा करना धर्म है तो वह तेरापंथ की मान्यता के अनुसार बिल्कुल गलत है | हमारे अनुसार यह सम्यक्त्व को दूषित करने वाला तत्व है | - परमश्रद्धेय आचार्यश्री महाश्रमणजी 3. जो भी घटना घटित हो, उसे केवल देखना सीखे, उसके साथ जुड़े नहीं | जो व्यक्ति घटना के साथ खुद को जोड़ देता है, वह दु:खी बन जाता है और जो द्रष्टा ( viewer ) भाव से घटना को देखता है, वह दुःख मुक्त रहता है | ~आचार्य श्री महाश्रमणजी

Monday 11 July 2022

अपने मन में शांति बनाए रखने और चित्त को प्रसन्न बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए : युगप्रधान आचार्य महाश्रमण


 

छापरवासियों को प्रतिकूल परिस्थति में भी मानसिक शांति बनाए रखने की दी पावन प्रेरणा

आसपास के क्षेत्रों से गुरु सन्निधि में चतुर्मास करने पहुंच रहीं हैं चारित्रात्माएं

11.07.2022, सोमवार, छापर, चूरू (राजस्थान) , जैन आगमों में विभिन्न विषयों से संबंधित वर्णन प्राप्त होता है। हालांकि आगम आम आदमी के समझ में न भी आए, क्योंकि इसकी भाषा प्राकृत या अर्धमागधी है। आगमों की वाणी का अर्थ उसके हिन्दी अनुवाद अथवा टिप्पण आदि के माध्यम से जाना जा सकता है। जैन धर्म में बत्तीस आगम मान्य हैं। परम पूज्य आचार्य तुलसी के समय में आगम सम्पादन का कार्य प्रारम्भ हुआ था। इस कार्य में आचार्य महाप्रज्ञजी का कितना श्रम लगा। लगभग सभी आगमों के मूल पाठ के संपादन का कार्य तो गया, अब उनका अनुवाद, टिप्पण और परिशिष्ट आदि का कार्य आज भी गतिमान है। आगमों से अनेक विषयों का वर्णन मिलता है। सृष्टि, संसार की जानकारी मिलती है। अध्यात्म की साधना में क्या करणीय और क्या अकरणीय का ज्ञान प्राप्त होता है।

हमारे यहां नवदीक्षित साधु-साध्वियां दसवेंआलियं ग्रन्थ को कंठस्थ करते हैं। इस आगम के माध्यम से साधुचर्या का प्रशस्त मार्गदर्शन प्राप्त होता है। साधु को कैसे बोलना, किसी प्रकार गोचरी करना, विनय करना, साधुओं के पंच महाव्रत व हिंसा से बचने का वर्णन भी इस छोटे-से ग्रंथ से प्राप्त हो जाता है। साधु के लक्षण को जानने के लिए यह ग्रन्थ आदर्श है। आगमों में कितना तत्त्वज्ञान भरा हुआ है। ज्ञान के संदर्भ में नंदीसूत्र को देखा जा सकता है। इस प्रकार आगमों से विविध विषयों के संदर्भ में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए मानों यह कहा जा सकता है कि अर्हतों के अनुभवों का सार है आगम। इसलिए आगमों अध्ययन आदि करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। ज्ञान की प्राप्ति कर अपने जीवन को मोक्ष की दिशा में ले जाने का प्रयास कर सकता है। उक्त पावन प्रेरणा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने छापर चतुर्मास प्रवासस्थल में बने भव्य में एवं विशाल प्रवचन पण्डाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान की।

आचार्यश्री ने आगे कहा कि यह संसार अनित्य है और यह जीवन अधु्रव है। यहां की दुःख की बहुलता है। जीवन में अनेक रूपों में दुःख प्राप्त होता है। कभी शारीरिक तो कभी मानसिक दुःख प्राप्त होता है। इसलिए आदमी आगमों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त कर अपने मन में शांति बनाए रखने और चित्त को प्रसन्न बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। आगे की दुर्गति से बचने के लिए आदमी को सत्संगति के माध्यम से ज्ञानार्जन कर अपने जीवन को परमसुख अर्थात् मोक्ष की दिशा में जाने का प्रयास करे।

तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टामाचार्य कालूगणी की जन्मभूमि में वर्ष 2022 के चतुर्मास हेतु पधारे आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आसपास के क्षेत्रों की चारित्रात्माएं भी गुरुकुलवास में चतुर्मास हेतु उपस्थित हो रही हैं। कार्यक्रम के दौरान बीदासर से साध्वी साधनाश्रीजी व साध्वी अमितप्रभाजी ने अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ दर्शन कर हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए सहवर्ती साध्वियों संग गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने साध्वियों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के दर्शन कर साध्वियां हर्षविभोर नजर आ रही थीं।

कार्यक्रम में श्री झंकार दुधोड़िया, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री श्री दिलीप मालू व श्रीमती तारामणि दुधोड़िया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। गुवाहाटी व छापर की तेरापंथ महिला मण्डल, भ्राताद्वय श्री सुरेन्द्र-नरेन्द्र कुमार नाहटा, अणुव्रत समिति की महिला सदस्याओं व श्री राहुल बैद ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान कर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।


साभार : महासभा कैम्प ऑफिस

#तेरापंथ #Terapanth #आचार्यमहाश्रमण #AcharyaMahashraman #छापर_चातुर्मास #pravachan #pragyapathaey