महाश्रमण ने कहा

1. तुम कार्यकर्ता बनना चाहते हो यह अच्छी बात हो सकती है पर तुम यह सोचो तुम्हारा अपने काम, क्रोध व भय पर नियंत्रण है या नहीं | - आचार्य श्री महाश्रमण 2. यदि यह आस्था हो जाए कि मूर्तिपूजा करना, द्रव्यपूजा करना धर्म है तो वह तेरापंथ की मान्यता के अनुसार बिल्कुल गलत है | हमारे अनुसार यह सम्यक्त्व को दूषित करने वाला तत्व है | - परमश्रद्धेय आचार्यश्री महाश्रमणजी 3. जो भी घटना घटित हो, उसे केवल देखना सीखे, उसके साथ जुड़े नहीं | जो व्यक्ति घटना के साथ खुद को जोड़ देता है, वह दु:खी बन जाता है और जो द्रष्टा ( viewer ) भाव से घटना को देखता है, वह दुःख मुक्त रहता है | ~आचार्य श्री महाश्रमणजी

Monday 2 November 2020

गायन, चित्रकला, भाषण और लेखन प्रतियोगिताओं का राष्ट्रीय स्तर पर होगा शीघ्र आयोजन

अणुव्रत आंदोलन द्वारा नई पीढ़ी के नव निर्माण की अनूठी पहल

नई पीढ़ी में रचनात्मकता और सकारात्मकता के विकास को केन्द्र में रख कर अणुव्रत आन्दोलन की प्रतिनिधि संस्था अणुव्रत विश्व भारती द्वारा पूरे देश में अणुव्रत क्रिएटिविटी कॉन्टेस्ट के नाम से विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। गायन, चित्रकला, भाषण और कविता व निबन्ध लेखन जैसी रचनात्मक विधाओं में होने वाली इन प्रतियोगिताओं में तीन वर्गों में कक्षा 3 से 12 तक के बच्चे भाग ले सकेंगे। प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए शीघ्र ही वेबसाइट और ऐप लॉन्च किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इनमें से कुछ प्रतियोगिताएं पिछले 25 वर्षों से आयोजित की जा रही हैं लेकिन कोरोना जनित परिस्थितियों के चलते पहली बार इन्हें ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आयोजित किया जा रहा है।


अणुविभा के अध्यक्ष श्री संचय जैन ने बताया कि ये प्रतियोगिताएं पूर्णतः ऑनलाइन आयोजित होंगी जिसमें बच्चे अपनी स्कूल के माध्यम से अथवा सीधे भी पंजीकरण करवा कर अपनी प्रविष्ठि अपलोड कर सकेंगे। प्रतियोगियों में बिना किसी जाति, धर्म, वर्ग या लैंगिक भेदभाव के कक्षा 3 से 12 का कोई भी बच्चा भाग ले सकेगा और यह पूर्णतः निशुल्क होगी। शहर व जिला स्तर पर ई प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे एवं राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ प्रतियोगियों को चुना जाएगा और उन्हें पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। प्रतियोगिताओं का मुख्य विषय है - "कोरोना वैश्विक संकट : प्रभाव, समाधान और अवसर" जिसके अन्तर्गत दिए गए अनेक उप विषयों में से बच्चे अपनी पसन्द के विषय पर प्रस्तुति दे सकेंगे।


उल्लेखनीय है कि 7 दशक पूर्व महान संत आचार्य तुलसी द्वारा प्रवर्तित अणुव्रत आंदोलन मानवीय मूल्यों के संवर्द्धन के लिए अपने बहुआयामी रचनात्मक प्रकल्पों के माध्यम से निरन्तर प्रयासशील है। अणुव्रत दर्शन की यह मान्यता है छोटे-छोटे व्रत स्वीकार कर व्यक्ति स्वयं को सकारात्मक दिशा में अग्रसर कर सकता है और सुधरे व्यक्ति से ही समाज, राष्ट्र और विश्व सुधर सकता है। वर्तमान में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण इस आन्दोलन को आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं और अहिंसा यात्रा के रूप में हजारों किलोमीटर की पदयात्राएं करके जन-जन को नैतिकता, सद्भावना और नशामुक्ति का संदेश दे रहे हैं। 


नई पीढ़ी का संस्कार निर्माण अणुव्रत आंदोलन की प्रमुख प्रवृत्तियों में शामिल रहा है और अणुव्रत विश्व भारती का राजसमंद स्थित मुख्यालय चिल्ड्रन'स पीस पैलेस बाल मनोविज्ञान पर आधारित एक प्रयोगशाला है जहां कुछ दिन बीता कर ही बच्चे अपने आप को रूपांतरित अनुभव करते हैं। आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा प्रणीत जीवन विज्ञान पाठ्यक्रम नई पीढ़ी के नव निर्माण का सशक्त माध्यम है जिसके माध्यम से लाखों बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं।


श्री जैन ने बताया कि प्रतियोगिता में भाग लेने के इच्छुक स्कूल और बच्चों के लिए शीघ्र ही वेबसाइट का लिंक शेयर किया जाएगा। प्रतियोगिता की तैयारियों के लिए अणुविभा की केंद्रीय टीम में अध्यक्ष श्री संचय जैन के अलावा वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अविनाश नाहर, महामंत्री श्री राकेश नौलखा, मंत्री श्री प्रकाश तातेड, सह मंत्री श्री जय बोहरा प्रतियोगिताओं के राष्ट्रीय संयोजक श्री रमेश पटावरी एवं लगभग 150 से अधिक जोनल, राज्य एवं स्थानीय संयोजकों की टीम दिन रात तैयारियों में जुटी है। श्री विमल गुलगुलिया के तकनीकी सहयोग से प्रतियोगिता के लिए वेबसाइट एवं ऐप तैयार किया गया है।



Friday 3 January 2020

अभातेयुप द्वारा विश्वशांति एवं एकता का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय जैन सामायिक फेस्टिवल का भव्य आयोजन ५ जनवरी को

कोलकाता, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आगामी 5 जनवरी 2020 को नववर्ष के प्रथम रविवार को सम्पूर्ण विश्व मे सकल जैन समाज द्वारा विश्व मैत्री और एकता का संदेश लिए हो रहे जैन सामायिक फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है।
विश्व में अहिंसा एवं शांति के सिद्धांतों पर चलकर विश्व शांति हेतु प्रेरणा देने वाले जैन धर्म में समायिक साधना का अनूठा महत्व है । जैन धर्म के सिद्धांतों अनुसार 48 मिनट तक मन-वचन-काया से किसी की प्रकार की पापकारी प्रवृति का त्यागकर अपनी आत्मा में रमण करना ही समायिक करना है ।
विश्वशांति एवं एकता हेतु परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी की पावन प्रेरणा से जैन तेरापंथ धर्मसंघ के युवाओं का संगठन अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा अनूठे रूप में जैन समायिक फेस्टिवल का आयोजन पूरे देशभर में और विश्व के अनेक प्रमुख शहरों में नववर्ष 2020 के प्रथम रविवार, दिनांक 5 जनवरी को किया जाएगा।
इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संदीप कोठारी ने कहां कि पूरे भारतवर्ष सहित पूरे विश्व में अनेंको स्थानों पर जैन समायिक फेस्टिवल के माध्यम जैन धर्म के सभी संप्रदायों के श्रावक समाज साथ मिलकर एक समायिक की आराधना कर जैन एकता का परिचय देंगे । इस कार्यक्रम हेतु जैन धर्म के महान आचार्य श्री महाश्रमण जी, आचार्य डॉ. शिवमुनि जी म.सा, आचार्य विजय श्री अभयदेव सुरी जी म.सा, आचार्य श्री ललितप्रभ सागर जी म.सा, श्री सौभाग्य मुनि जी म.सा, मुनिप्रवर श्री जयकीर्ति म.सा आदि अनेकों आचार्यों - मुनि प्रवर, साधु साध्वी जी भगवंतों ने जैन समायिक फेस्टिवल कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद प्रदान किया है और इस प्रयास की अनुमोदना की है ।
जैन समाज के गौरव एवं जैन समाज से एकमात्र मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी ने जैन सामायिक फेस्टिवल कार्यक्रम को समर्थन दिया है ।
इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के साथ श्री ऑल इंडिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेस, अखिल भारतीय खतरगच्छ युवा परिषद, अखिल भारतीय श्री प्राज्ञ जैन युवा मंडल, भारतीय जैन संगठना आदि विभिन्न संगठनों ने सहभागिता दर्ज करने हेतु समर्थन दिया है । जैन एकता में मील का पत्थर सिद्ध होनेवाले कार्यक्रम को पूरे देशभर में आयोजन करवाने हेतु अनेकों संघीय संस्थाएं सज्ज बन चुकी है ।
अभातेयुप के महामंत्री श्री मनीष दफ्तरी ने इस कार्यक्रम की आयोजना हेतु बताया कि अभातेयुप की 346 शाखाओं में इस कार्यक्रम को लेकर अपूर्व उत्साह है और जैन समाज के सभी युवा इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे यही विश्वास है ।
अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज के सहसंपादक पंकज दुधोडिया ने बताया कि वर्ष के प्रथम रविवार 5 जनवरी 2020 को देश भर में वृहद रूप से आयोजित जैन सामायिक फेस्टिवल को लेकर सकल जैन समाज में उत्साह देखने को मिल रहा है। यह आयोजन विश्व मैत्री और जैन एकता का प्रतीक बनेगा।