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आचार्य श्री महाश्रमण
महाश्रमण ने कहा
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महाश्रमण ने कहा
1. तुम कार्यकर्ता बनना चाहते हो यह अच्छी बात हो सकती है पर तुम यह सोचो तुम्हारा अपने काम, क्रोध व भय पर नियंत्रण है या नहीं
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आचार्य श्री महाश्रमण
2. यदि यह आस्था हो जाए कि मूर्तिपूजा करना, द्रव्यपूजा करना धर्म है तो वह तेरापंथ की मान्यता के अनुसार बिल्कुल गलत है | हमारे अनुसार यह सम्यक्त्व को दूषित करने वाला तत्व है |
- परमश्रद्धेय आचार्यश्री महाश्रमणजी
3. जो भी घटना घटित हो, उसे केवल देखना सीखे, उसके साथ जुड़े नहीं | जो व्यक्ति घटना के साथ खुद को जोड़ देता है, वह दु:खी बन जाता है और जो द्रष्टा ( viewer ) भाव से घटना को देखता है, वह दुःख मुक्त रहता है |
~आचार्य श्री महाश्रमणजी
महाश्रमण ने कहा
धर्मकथा का पहला लाभ यह है कि कर्मों की निर्जरा होती है |
धर्मकथा करने से पाप कटते हैं |
दूसरों को लाभ मिले या न मिले, किन्तु स्वयं को लाभ मिल जाएगा |
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