महाश्रमण ने कहा

1. तुम कार्यकर्ता बनना चाहते हो यह अच्छी बात हो सकती है पर तुम यह सोचो तुम्हारा अपने काम, क्रोध व भय पर नियंत्रण है या नहीं | - आचार्य श्री महाश्रमण 2. यदि यह आस्था हो जाए कि मूर्तिपूजा करना, द्रव्यपूजा करना धर्म है तो वह तेरापंथ की मान्यता के अनुसार बिल्कुल गलत है | हमारे अनुसार यह सम्यक्त्व को दूषित करने वाला तत्व है | - परमश्रद्धेय आचार्यश्री महाश्रमणजी 3. जो भी घटना घटित हो, उसे केवल देखना सीखे, उसके साथ जुड़े नहीं | जो व्यक्ति घटना के साथ खुद को जोड़ देता है, वह दु:खी बन जाता है और जो द्रष्टा ( viewer ) भाव से घटना को देखता है, वह दुःख मुक्त रहता है | ~आचार्य श्री महाश्रमणजी

Friday, 11 November 2011

हार्दिक शुभकामना

आज ११-११-११ के विशेष दिन पर जो हिन्दू धर्म में ११ के अंक को अति शुभ मानते है वो भी दिन महिना व् वर्ष तीनो का संयोग एक साथ तो आप सभी मित्रो को मेंरी व् मेरे परिवार व् मेरे मित्रो की तरफ से हार्दिक शुभकामना आपके जीवन में ख़ुशीयो की बोछार हो ........